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Services of 6 contract employees who were absent from duty terminated – Strict action by Jashpur Collector

  ड्यूटी से गैरहाजिर रहने वाले 06 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त – कलेक्टर जशपुर की सख्त कार्रवाई







जशपुर जिले में प्रशासनिक अनुशासन को बनाए रखने के लिए कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने सख्त कदम उठाते हुए समग्र शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत छह संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इन कर्मचारियों को लंबे समय तक अनाधिकृत रूप से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण सेवा से पृथक किया गया है।

जिन कर्मचारियों पर यह कार्रवाई की गई है, उनमें लेखापाल पद पर कार्यरत श्रीमती पुष्पा टोप्पो, बी.आर.पी. समावेशी शिक्षा से जुड़ी सुश्री ज्योति साहू और कु. मेघा दुबे, सूचना प्रबंध समन्वयक श्री नवीन कुमार पटेल तथा भृत्य पद पर कार्यरत श्रीमती सविता बाई और श्री नंदकिशोर चौहान शामिल हैं। ये सभी कर्मचारी बिना किसी पूर्व सूचना और स्वीकृत अवकाश के लगातार ड्यूटी से अनुपस्थित थे।

कलेक्टर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, इन कर्मचारियों के खिलाफ पहले भी विभाग द्वारा कई बार पत्र भेजकर ड्यूटी पर लौटने के निर्देश दिए गए थे। विभाग ने स्पष्ट रूप से अनुपस्थिति का कारण बताने और नियमित रूप से कार्यस्थल पर उपस्थित होने के लिए समय-समय पर निर्देश जारी किए, लेकिन कर्मचारियों ने न तो इन पत्रों का कोई जवाब दिया और न ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने इस गंभीर लापरवाही और शासकीय सेवा के प्रति गैरजिम्मेदार रवैये को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-03 का उल्लंघन माना। इस नियम के तहत सरकारी कर्मचारियों से पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता से अपने दायित्वों का निर्वहन करने की अपेक्षा की जाती है। लंबे समय तक बिना अनुमति के अनुपस्थिति को नियमों के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है, जिस पर प्रशासनिक कार्रवाई अनिवार्य होती है।

इस निर्णय के माध्यम से जिला प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि ड्यूटी से अनाधिकृत अनुपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकारी कार्यों और योजनाओं को समय पर पूरा करने में संविदा कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ऐसे में उनकी अनुपस्थिति से न केवल कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि आम नागरिकों को भी परेशानी होती है।

कलेक्टर ने कहा कि शिक्षा विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों का मुख्य उद्देश्य बच्चों की शिक्षा और शैक्षणिक गतिविधियों का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना है। ऐसे में किसी भी कर्मचारी द्वारा लगातार अनुपस्थित रहना न केवल विभागीय अनुशासन के विपरीत है बल्कि बच्चों के भविष्य को भी प्रभावित करता है। उन्होंने विभाग के अन्य कर्मचारियों को भी स्पष्ट चेतावनी दी है कि वे अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार और अनुशासित बने रहें।

जशपुर कलेक्टर की यह कार्रवाई जिले में अनुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। यह कदम न केवल अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों के लिए सबक है, बल्कि अन्य कर्मचारियों के लिए भी चेतावनी है कि यदि वे अपने कार्य के प्रति ईमानदार नहीं रहेंगे तो उनके खिलाफ भी इसी प्रकार की सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शासन-प्रशासन की ओर से सरकारी सेवा में अनुशासन और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

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