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रायपुर : मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव – छत्तीसगढ़ी परंपराओं की अनूठी झलक, कृषि यंत्रों के साथ बिखरी सांस्कृतिक छटा





रायपुर : मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव – छत्तीसगढ़ी परंपराओं की अनूठी झलक, कृषि यंत्रों के साथ बिखरी सांस्कृतिक छटा

 







रायपुर, 24 जुलाई 2025 

छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और कृषि प्रधान जीवनशैली को जीवंत करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निवास परिसर में आज हरेली तिहार का पारंपरिक उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। हरेली पर्व, जो हरियाली और कृषि कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है, छत्तीसगढ़ी ग्रामीण जीवन और संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास परिसर को ग्रामीण परिवेश की छटा से सजाया गया, जहाँ कृषि यंत्रों और पारंपरिक वस्त्रों की झलक देखने को मिली।

प्रदर्शनी के एक कोने में दो गोल लकड़ी की संरचनाएँ रखी गई थीं, जिन्हें ‘काठा’ कहा जाता है। आधुनिक काँटा-बाँट के आने से पहले, गाँवों में धान नापने के लिए काठा का ही प्रयोग होता था। एक काठा में सामान्यतः चार किलो धान आता था। मजदूरी का भुगतान और लेन-देन इसी माप के आधार पर किया जाता था।
बांस की पतली खपच्चियों से निर्मित, गुलाबी रंग में रंगी और कौड़ियों से सजी घेरेदार संरचना ‘खुमरी’ का भी आकर्षक प्रदर्शन किया गया। यह पारंपरिक सिर ढकने का साधन चरवाहों द्वारा धूप और वर्षा से बचाव के लिए उपयोग किया जाता था। इसके साथ ही जूट के रेशों से बना मोटा ‘कमरा’ (रेनकोट) भी ग्रामीण जीवन की झलक पेश करता दिखा।
प्रदर्शनी में ‘कांसी’ पौधे से बनी डोरी ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। पारंपरिक रूप से इसे चारपाई (खटिया) बुनने के लिए ‘निवार’ के रूप में उपयोग किया जाता था। डोरी बनाने की प्रक्रिया, जिसे ‘डोरी आंटना’ कहा जाता है, वर्षा ऋतु के आरंभ में विशेष रूप से की जाती थी। इसकी मजबूती वर्षों तक टिकाऊ बुनाई सुनिश्चित करती थी।
बांस की लकड़ी से बनी, ढक्कन युक्त गोल संरचना ‘झांपी’ पुराने समय में बैग या पेटी का विकल्प हुआ करती थी। विशेष रूप से विवाह समारोहों में इसका उपयोग दूल्हे के कपड़े, श्रृंगार सामग्री और पकवान रखने के लिए किया जाता था। इसकी मजबूत संरचना वर्षों तक टिकती है।
धान मिंजाई के समय धान को उलटने-पलटने के लिए उपयोग में आने वाला ‘कलारी’ उपकरण भी प्रदर्शन का हिस्सा रहा। यह बांस के डंडे के छोर पर लोहे के नुकीले हुक से बनाया जाता है और कृषि कार्यों में सहायक माना जाता है।

काठा – धान मापने का पारंपरिक साधन

खुमरी – चरवाहों की पहचान

कांसी की डोरी – मजबूत बुनाई का आधार

झांपी – ग्रामीण बैग का विकल्प

कलारी – धान मिंजाई का उपकरण

हरेली उत्सव के इस आयोजन ने न केवल छत्तीसगढ़ की परंपराओं को जीवंत किया, बल्कि यह भी संदेश दिया कि हमारी संस्कृति और परंपराएँ आज भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। मुख्यमंत्री निवास परिसर में लगे इस पारंपरिक प्रदर्शनी स्थल को देखने के लिए आगंतुकों में उत्साह देखा गया और सभी ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की इस अनूठी प्रस्तुति की सराहना की।

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